अदृश्य दिव्य आत्माज्ञान

ओ3म् त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योःमुक्षीय माऽमृतात्।। अग्ने नय सुपथा राये अस्मान विश्वानि देव वयुनानि विद्वान्। युयोध्यस्मज्जुहुराणमेनो भुयिष्ठां ते नम उक्तिं विधेयं।।

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मंगलवार, 11 जनवरी 2011

this is dengerous things that is change anyone life without confution.
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